Ek kavita aisi  bhi...  एक कविता ऐसी भी...

रचनाओं के माध्यम से साहित्य का सृजन , और समाज को नई दिशा...

Sunday 10 January 2016

मैं ऐसा ही हूँ..

जो मन में भरा है उसे बाहर निकालो।
मेरे बारे में कोई वहम न पालो।

जैसा हूं मैं दिखता , बिल्कुल वैसा ही हूँ।
सारी दुनिया के लोगों से इतना कहूँ।

मुझको जो समझते इस फील्ड में अनाड़ी।
बता दो उनको मैं हूँ बचपन से खिलाड़ी।

अपने चर्चे गली गली में , हर कोई मुझको जानता।
एक कविता ऐसी भी के ब्लाग से पहचानता। 

ऊपर वाला साथ रहे बस दुआ मे मांगू इतना।
हिट पर हिट हो जाये मैं लिख दूँ चाहे जितना।

नूर झलकता महफिल से जबतक टिकता हूँ।
लोगों से तारीफ सुनी है अच्छा लिखता हूँ। 

साइंस साइट से पढकर मैंने जान लिया विज्ञान।
क्या है फ्लेमिंग रुल क्या न्यूटन का सिद्धान्त।

अजब गजब ये दुनिया और इस दुनिया की बातें।
कैसे दिन होता है और कैसे कटती रातें।

अंग्रेजी के ए बी सी डी अच्छे से पहचानू।
मैं हिन्दुस्तान का छोरा हिन्दी को भी जानू।

आई टी सेक्टर का बन्दा ऐप बनाता है।
मेरे जैसा पागल है जो रैप बनाता है।

लिखता सदा रहूंगा ये बात है मन में ठानी।
मुझको चाहने वालों चालू कर लो आकाशवाणी।

एक बार जो सुनता है वो सुनता बार बार।
बस ऐसे ही साथ मिले तो बन जाऊं स्टार।

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