"आतंक का विस्तार है ,जन-जन की परेशानी।
मिट्टी में मिला खून है, देही में बना पानी।
इस मुल्क में बड़ जायेगा ,ये सोचा नही था।
क्यों ठहर नही जाता ,कहता हर हिदुस्तानी।"
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मिट्टी में मिला खून है, देही में बना पानी।
इस मुल्क में बड़ जायेगा ,ये सोचा नही था।
क्यों ठहर नही जाता ,कहता हर हिदुस्तानी।"
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धीरे-धीरे हो रहा , आतंक का प्रसार ।
सुदूर कोई बैठ , इसे दे रहा आकर ।
होता है आम जनता पर, इस कदर अत्याचार ।
सुदूर कोई बैठ , इसे दे रहा आकर ।
होता है आम जनता पर, इस कदर अत्याचार ।
मिटता किसी का सपना, किसी का होता है साकार ।
हर बूंद खून की ,है हमसे कर रही पुकार ।
नफरत भरी दुनिया में ,क्या अब रहा नही प्यार ।
बेटी किसी कि तो कहीं , बेटा हुआ लाचार ।
क्यों नही मनाता कोई , खुशियों भरा त्योहार ।
नफरत भरी दुनिया में ,क्या अब रहा नही प्यार ।
बेटी किसी कि तो कहीं , बेटा हुआ लाचार ।
क्यों नही मनाता कोई , खुशियों भरा त्योहार ।
न जाने क्या सोंचा था , जिसने किया अविष्कार।
घोड़े को दबाते ही ,दिया जाता कोई मार ।
छल्ली किसी का सीना ,किसी के सर से गोली पार।
आसान कितना हो गया है , मौत का व्यापार ।
घोड़े को दबाते ही ,दिया जाता कोई मार ।
छल्ली किसी का सीना ,किसी के सर से गोली पार।
आसान कितना हो गया है , मौत का व्यापार ।
जनता है परेशान , परेशान है सरकार ।
अदभुत् तरीके से है , करता कौन चमत्कार ।
ठहरो ,जरा सोचों ,दिया किसने इन्हें हथियार ।
कोई तो कर रहा है ,इन जैसों पर भी उपकार ।
अदभुत् तरीके से है , करता कौन चमत्कार ।
ठहरो ,जरा सोचों ,दिया किसने इन्हें हथियार ।
कोई तो कर रहा है ,इन जैसों पर भी उपकार ।
दाउद नही ,लादेन ,न ही अलकायदा जिम्मेदार ।
जो दे रहा अनुमति इन्हें ,वो भी है कसूरवार ।
यूँ ही नही दुनिया में ,मच रहा है हाहाकार ।
है बड़ रही रंजिश , नही बचता दिलों में प्यार ।
जो दे रहा अनुमति इन्हें ,वो भी है कसूरवार ।
यूँ ही नही दुनिया में ,मच रहा है हाहाकार ।
है बड़ रही रंजिश , नही बचता दिलों में प्यार ।
मुमकिन है मिटाना , इसे कर दो जहाँ के पार ।
दुश्मन की रगों में भरें हम ,दोस्ती का प्यार ।
इन सारे गुनाहों का यूँ तो ,इतना सा है सार ।
है चाहिए हर शख्स को ,यहां प्यार ,प्यार ,प्यार ।
दुश्मन की रगों में भरें हम ,दोस्ती का प्यार ।
इन सारे गुनाहों का यूँ तो ,इतना सा है सार ।
है चाहिए हर शख्स को ,यहां प्यार ,प्यार ,प्यार ।
बस अंत में कहता है, "अंकित" पंक्तियाँ ये चार ।
आतंक के हर पहलू का , करना है बहिष्कार ।
सिर्फ चैनों-अमन का ही हो ,हर क्षण यहां प्रचार ।
हर मुल्क हो सदस्य ,और ये विश्व एक परिवार ।
हर शख्स को मिलता रहे ,बस प्यार,प्यार, प्यार ।
सिर्फ चैनों-अमन का ही हो ,हर क्षण यहां प्रचार ।
हर मुल्क हो सदस्य ,और ये विश्व एक परिवार ।
हर शख्स को मिलता रहे ,बस प्यार,प्यार, प्यार ।
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