Ek kavita aisi  bhi...  एक कविता ऐसी भी...

रचनाओं के माध्यम से साहित्य का सृजन , और समाज को नई दिशा...

Saturday 19 November 2016

ये डिबिया है कमाल की (mobile phone, busy zone)

मोबाइल वाले बाबू जरा ध्यान दो।
उंगलियों को थोड़ा तो आराम दो।

जाने न कब से तुम ऐसे खड़े हो।
5 इंच की डिबिया से एकटक भिड़े हो।

सोचों  न काहे को, घर में होती है तकरार।
अम्मा जी को बच्चा नहीं, मोबाइल से है प्यार।

फेसबुक और ट्विटर पर सबका अकाउंट।
कितना लाइक और शेयर, डे बाई डे काउंट।

बगल वाले भईया जब से परदेश रहते  हैं।
भौजी से स्काइप पर हाल चाल लेते हैं।

हैलो, हाऊ आर यू, बोले आई एम फाइन।
बेटा पप्पू वाट्सएप पर ग्रुप में हुआ ज्वाइन।

छोटे - छोटे बच्चे भी बड़ा ज्ञान देते हैं।
यूट्यूब और गूगल से सब कुछ जान लेते हैं।

डोन्ट वरी, आल आर बिजी अपने मोबाइल में।
गेम ओवर, आउट डोर कोई न दिखे पार्क में।

सिमट गयी रिश्तेदारी मिलना होता आनलाइन।
केवल एक नेट पैक में खर्च होते रहते  क्वाइन।

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